Saturday, April 16, 2011

Under the Influence. (Part I)

हिचकियों के काफिले

कुछ हिचकियों के काफिले आये तो लगा,
उसने मुझे याद किया होगा.

इसी वजह से नींद ने कल रात मुझसे मुह मोड़े रखा,
तो लगा शायद वो जागकर मुझे याद कर रहा होगा.

पूछा जब मैंने तो बड़ी बेरुखी से बात को टाल गया. 

फिर भी आज यूँ लगा की उसने मुझे दिल से याद किया होगा,
की आज अनजाना सा एक एहसास भरी पूरी महफ़िल में फिर से मेरा 
तस्सवुर चुरा गया.


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मैंने तुमसे कब कहा 

मैंने तुमसे कब कहा, की हमेशा  मेरी आँखों के सामने रहो, 
चाहा बस यही की आँखों में मासूम सपने की तरह बसे रहो.

मैंने तुमसे कब कहा की मुझे अपनी ज़िन्दगी में कोई जगह दो, 
चाहा बस यही की मुझे अपनी यादों के तस्सवुर में समेटे रखो. 

मैंने तुमसे प्यार पाने के लिए प्यार नहीं किया,
मैंने तो तुमसे प्यार में होने के लिए प्यार किया. 

मुझे तुमसे वो सब नहीं चाहिए
की शायद तुम मुझे 'वो' सब दे भी नहीं सकते

सिर्फ इतना कह दो की
बस यही रुक जाओ, मेरे 'वजूद' के कही आस - पास.


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तमन्ना

तमन्ना है मेरी हमेशा से यही
शहर भर में तेरे दोस्त भरे रहे,
तेरी नजदीकियां मगर सिर्फ मुझे मिले. 

गैरों की महफ़िल में ठहाके तेरे बुलंद रहे
तनहाइयों की वो मुस्कुराहटें मगर सिर्फ मुझे मिले.

तेरा साया भी तुझसे रहे दूर
की रत्ती भर भी दूरी बीच में ना रहे.

बातें मेरी या चरचें सभी
तेरे ही किस्सों से भरपूर रहे

तुझसे जुदा होके जो मिले है दिल को ज़ख़्म
खुदा करे मेरी चाहत की तरह, ये भी हमेशा 'हरे' रहे. 

6 comments:

  1. Awwwwww....This is by far the best post I have ever read...I'm in love with your love..sacchi :)

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  2. @hitwicked: glad you liked. :D

    @Ekta: Sweetheart, words are all i have. :-)

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  3. " tanhaaiyon ki muskuraahaten... " . subhaan allah.

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  4. @Mayur: Thanks Mayur. :)

    @Farooq: :D :D

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