दौडते क़दमों का शोर
बेचैन पुतलियों की ख़ामोशी
होंठों पर मुस्कराहट
आँखों में हिकारत
हकीक़त का आईना
ख्वाबों का झूठ
ख्वाहिशों का आसमान
उम्मीदों की ज़मीन
मोम सा पिघलता दिन
पत्थर सी कड़ी होती रात
किसी के मिजाज़ की गर्मी
और.. किसी के लफ़्ज़ों का सर्दपन
सब.. ये सब मिलकर भी रत्ती भर बदल नहीं पाए हैं..
उम्मीद उस की, आज भी उसी की तरह 'हठी' है.
बेचैन पुतलियों की ख़ामोशी
होंठों पर मुस्कराहट
आँखों में हिकारत
हकीक़त का आईना
ख्वाबों का झूठ
ख्वाहिशों का आसमान
उम्मीदों की ज़मीन
मोम सा पिघलता दिन
पत्थर सी कड़ी होती रात
किसी के मिजाज़ की गर्मी
और.. किसी के लफ़्ज़ों का सर्दपन
सब.. ये सब मिलकर भी रत्ती भर बदल नहीं पाए हैं..
उम्मीद उस की, आज भी उसी की तरह 'हठी' है.
बहुत खूब :)
ReplyDeleteKhoobsurat. :)
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